संपादकीय

नहीं रहे प्रख्यात अर्थशास्त्री और विचारक मेघनाद देसाई

बौद्धिक जगत में एक युग का अंतभारतीय मूल के विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, लेखक और ब्रिटिश राजनेता लॉर्ड मेघनाद देसाई का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उनके निधन से वैश्विक बौद्धिक और अकादमिक जगत में एक युग का अंत हो गया है।

वह न केवल एक उत्कृष्ट अर्थशास्त्री थे, बल्कि एक निर्भीक विचारक और एक ऐसे सार्वजनिक बुद्धिजीवी भी थे, जिन्होंने अपने विचारों से ब्रिटेन और भारत दोनों में नीति और समाज पर गहरा प्रभाव डाला।10 जुलाई 1940 को गुजरात के वडोदरा में जन्मे मेघनाद देसाई की प्रारंभिक शिक्षा भारत में हुई। मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल करने के बाद, उन्होंने पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय, अमेरिका से अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद वे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एलएसई) से जुड़े, जो अगले चार दशकों तक उनका कर्मक्षेत्र बना रहा। 1965 से 2003 तक एलएसई में अध्यापन कार्य करते हुए, उन्होंने अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्ति प्राप्त की। यहीं पर उन्होंने 1992 में ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ ग्लोबल गवर्नेंस’ की स्थापना की, जो वैश्विक शासन के अध्ययन में एक अग्रणी संस्थान बना।लॉर्ड देसाई का कृतित्व मार्क्सवादी अर्थशास्त्र, राजनीतिक अर्थव्यवस्था, आर्थिक इतिहास और वैश्वीकरण जैसे विविध विषयों तक फैला हुआ था। वह मानव विकास सूचकांक (HDI) के संस्थापकों में से एक थे, जिसने किसी देश के विकास को केवल आर्थिक आंकड़ों से परे स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे सामाजिक संकेतकों पर मापने का एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने 20 से अधिक पुस्तकें और 200 से अधिक अकादमिक लेख लिखे। उनकी प्रमुख कृतियों में “मार्क्स रिवेंज: द रिसर्जेंस ऑफ कैपिटलिज्म एंड द डेथ ऑफ स्टेटिस्ट सोशलिज्म” और “द रीडिस्कवरी ऑफ इंडिया” शामिल हैं, जो उनकी गहरी विश्लेषणात्मक और मौलिक सोच को दर्शाती हैं।अकादमिक जगत के अलावा, ब्रिटिश राजनीति में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। 1971 से लेबर पार्टी के एक सक्रिय सदस्य के रूप में, उन्हें 1991 में ‘बैरन देसाई ऑफ सेंट क्लेमेंट डेन्स’ के रूप में हाउस ऑफ लॉर्ड्स का सदस्य बनाया गया। वह अपनी स्वतंत्र सोच और पार्टी लाइन से अलग हटकर अपनी बात रखने के लिए जाने जाते थे। 2020 में, उन्होंने पार्टी के भीतर नस्लवाद के मुद्दे पर लगभग 50 वर्षों की सदस्यता के बाद लेबर पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, जो उनके सिद्धांतों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।ब्रिटेन में रहते हुए भी लॉर्ड देसाई का भारत से जुड़ाव अटूट रहा। वह भारत-ब्रिटेन संबंधों को मजबूत करने के प्रबल समर्थक थे। भारत सरकार ने उन्हें 2008 में तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया था। उन्होंने मुंबई में ‘मेघनाद देसाई एकेडमी ऑफ इकोनॉमिक्स’ की स्थापना भी की, जिसका उद्देश्य भारत में युवा अर्थशास्त्रियों को विश्व स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करना है।मेघनाद देसाई एक विद्रोही अर्थशास्त्री, एक निडर विचारक और एक वैश्विक नागरिक थे। उनका निधन भारत, ब्रिटेन और संपूर्ण बौद्धिक विश्व के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका काम और उनके विचार आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।

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