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अनुसूचित जातियों के सर्वांगीण विकास के लिये कृत-संकल्पित है सरकार

राज्य सरकार अनुसूचित जातियों के कल्याण और उनके सर्वांगीण विकास के लिये कृत संकल्पित है। अनुसूचित जातियों की जनसंख्या के मान से प्रदेश के कुल बजट में 16 प्रतिशत का प्रावधान कर इन वर्गों के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक उत्थान के लिये अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम संचालित हैं।

मध्यप्रदेश सरकार ने अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों की शिक्षा-दीक्षा के लिये कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी है। चाहे छात्रवृत्ति हो या मैस का बेहतरीन इंतजाम अथवा विदेश में पढ़ाई की बात हो, सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के छात्रों के लिये खुले हाथ खर्च किया जा रहा है।

अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों के लिये सरकार ने खोला खजाना

अनुसूचित जाति वर्ग के 4 लाख 48 हजार विद्यार्थियों को 480 करोड़ रूपये की पोस्ट-मेट्रिक छात्रवृत्ति का वितरण किया गया है। इसी प्रकार राज्य छात्रवृत्ति के रूप में 16 लाख 37 हजार विद्यार्थियों को 154 करोड़ रूपये की राज्य छात्रवृत्ति का वितरण किया गया है। इसके अलावा 80 हजार विद्यार्थियों को 115 करोड़ रूपये की आवास सहायता का वितरण किया गया। यही नहीं 50 विद्यार्थियों के लिये विदेश अध्ययन की सुविधा के लिये प्रति विद्यार्थी प्रतिवर्ष 50 हजार यूएस डॉलर की छात्रवृत्ति की पात्रता है। उल्लेखनीय है कि कुल 1750 सीट क्षमता के 10 कन्या छात्रावास भवन स्वीकृत किये गये हैं। इसके लिये 83 करोड़ 55 लाख रुपये की मंजूरी दी गई है। अनुसूचित जाति के 93 हजार 752 विद्यार्थियों के लिये आवासीय सुविधा के लिये 1913 छात्रावासों का संचालन किया जा रहा है। गुणवत्तापूर्ण आवासीय शिक्षा के लिये 640 सीटर 10 ज्ञानोदय विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। कुल 1933 छात्रावासों में मैस संचालन के लिये शिष्यवृत्ति की राशि 106 करोड़ 20 लाख रुपये का प्रावधान है।

अनुसूचित जाति बहुल ग्रामों के लिये भी बड़ी राशि से विभिन्न कार्य पूर्ण अथवा प्रगतिरत हैं। अनुसूचित जाति बस्तियों के विकास के लिये 30 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। अनुसूचित जाति के युवाओं के स्व-रोजगार एवं प्रशिक्षण के लिये भी प्रावधान किये गये हैं।

 रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण

अनुसूचित जाति के 8 हजार युवाओं को रोजगारोन्मुखी व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिये 32 करोड़ 41 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। कृषि एवं सहयोगी व्यवसायों के अतिरिक्त आय-सृजन के लिये 52 हजार 855 युवाओं को 52 करोड़ 85 लाख का प्रावधान किया गया है। प्रतियोगी परीक्षाओं की पूर्व तैयारी के लिये 7 परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। आदर्श ग्राम योजना में अग्रणी मध्यप्रदेश

प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश के सभी राज्यों में अग्रणी है। अप्रैल 2022 तक 500 चयनित ग्राम आदर्श घोषित कर दिये जायेंगे। योजना में चयनित प्रदेश के 1 हजार 74 ग्रामों की ग्राम विकास योजनाएँ तैयार की जा चुकी हैं।

इन ग्रामों में अधोसंरचना विकास एवं सामाजिक-आर्थिक कल्याण गतिविधियों से नागरिकों के जीवन स्तर को सुधारने के कार्य प्रगति पर हैं। देश में योजना में पूर्ण 4 हजार 110 कार्यों में से सर्वाधिक 1 हजार 16 कार्य मध्यप्रदेश में पूर्ण किये गये हैं। देश में प्रगतिरत 7 हजार 776 कार्यों में सर्वाधिक एक हजार 772 कार्य प्रदेश के हैं। आदर्श ग्रामों में हितग्राहियों को अन्य विभागों की योजनाओं का लाभ दिलाने में भी प्रदेश अग्रणी है। लाभान्वित 5 लाख 29 हजार हितग्राहियों में 2 लाख 93 हजार से ज्यादा हितग्राही मध्यप्रदेश के हैं। अनुसूचित जाति के महापुरूषों की स्मृति में पुरस्कार

राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के महापुरूषों की स्मृति में प्रमुख रूप से 5 पुरस्कार स्थापित किये गये हैं, जो इस प्रकार ; संत रविदास स्मृति पुरस्कार, संत रविदास कर्मठ पुरस्कार तथा संत रविदास सामाजिक समरसता पुरस्कार, महर्षि वाल्मीकि स्मृति पुरस्कार, डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर स्मृति सम्मान पुरस्कार, संत कबीर पुरस्कार और श्री विष्णु कुमार अनुसूचित जाति सेवा सम्मान पुरस्कार।

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